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Showing posts from December, 2017

Hindi story ( true love)

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जिंदगी में जो पहला प्यार होता है वही जिंदगी का सबसे प्यारा लम्हा होता उसके बाद दूसरा तीसरा प्यार तो सिर्फ समझौता होता है, तन्हाइयों को दूर करने का । कुछ ऐसा ही हुआ था विराट के साथ,उसने गांव के ही एक लड़की पूजा को दिल दे बैठा था । ये जानते हुए भी की उनको गांव वाले कभी एक नहीं होने देंगे। लेकिन प्यार तो प्यार होता है, ये तो सिर्फ हो जाता है किया नहीं जाता। पूजा भी उसे बहुत प्यार करती थी। जब पूजा को कोई काम पड़ता शहर में, तो विराट भी किसी ना किसी बहाने शहर पहुंच जाता, फिर दोनो कभी सिनेमाघर चले जाते तो कभी किसी रेस्तरां में चले जाते। बहुत खूबसूरत जिंदगी कट रही थी । अचानक एक दिन पूजा ने विराट को फोन किया कि कल हमे शहर जाना है तुम भी चलना। दोनो अगले दिन शहर पहुंच चुके थे , पूजा ने कहा कि किसी ऐसे जगह चला जाये जँहा कोई ना हो और बैठ कर बातें हों। शहर के बाहर एक शंकर जी का मंदिर था। तय हुआ वंही चला जाये, दोनो पहुंच गए। वँहा पहुंच कर पूजा ने विराट के हाथ को अपने हाथों में लिया और.... "विराट अब हम ऐसे मिल नहीं पाएंगे, "ऐसा न कहो पूजा, "अब ऐसा ही होगा मेरी शादी तय हो चुकी है,...

अपूर्णता

अपूर्णता कृति बच्चे को गोद में लिए सोच रही थी, कितनी खुशकिस्मत है वह, उम्मीद ही नहीं थी या यों कहें, सपने में भी सोच नहीं सकती थी कि एक दिन बच्चा उसकी गोद में खेलेगा, उसे माँ कहेगा। यह सुख भी किस्मत में लिखा होगा। जुड़ जायेगा ये अनकहा रिश्ता। ..... अनकहा? हाँ अनकहा ही तो था। अभी तक बच्चे ने माँ कहा भी न था और उसके कानो में माँ शब्द गूंजने लगा था। प्रभु तेरा.... नहीं नहीं ……. यह सब तो उसकी माँ की हिम्मत और ममता का कमाल है। हाँ, भगवान् ने उसे पूरा भी नहीं बनाया। पता नहीं क्यों …. राज और शान्ति एक दूसरे से बहुत प्यार करते थे। घर वालों की मर्जी से शादी भी हो गई। फिर राज की नौकरी राजगढ़ में लग गई। ठेठ गाँव था। ठीक से अस्पताल भी नहीं थे। परिवार से दूर जाकर वहां बस गए। कुछ दिनों बाद पता चला, शान्ति माँ बनने वाली है। दोनों बहुत खुश थे। परिवार के लोग भी मिलने आये। सभी की ख़ुशी का ठिकाना न था। शांति के पीहर वाले और ससुराल वाले दोनों ने बड़ा जोर दिया कि वहां उनके पास रहने को आ जाये, पर शान्ति न मानी, उसे राज के साथ रह कर ही बच्चे को जन्म देना था और राज नौकरी छोड़ नहीं सकता था। फिर तय हुआ कि शान्ति ...

Hindi story ( Princess )

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एक राज्य में बहुत ही दयालू राजा अपनी रानी के साथ ख़ुशी-ख़ुशी रहता था. उसका राज्य भी ख़ुशहाल था, लेकिन बस एक ही दुख था कि उसकी कोई संतान नहीं थी. रानी रोज़ ईश्वर से संतान प्राप्ति का आशीर्वाद मांगती, ख़ासतौर से वो सूर्य देव से प्रार्थना करती कि उन्हें सब कुछ मिला है, कोई कमी नहीं, बस एक संतान भी मिल जाए, तो जीवन संपूर्ण हो जाए. एक रोज़ सूर्य देव ने उन्हें आशीर्वाद दिया. तालाब के पास ही एक जादुई मेंढक आया और उसने कहा कि तुम्हारी गोद ज़रूर भरेगी और तुम्हें एक बहुत ही सुंदर-सी बेटी होगी. और सचमुच कुछ समय बाद रानी की गोद भर गई. उन्हें एक प्यारी सी बेटी हुई, जो बेहद ख़ूबसूरत थी. सूर्य देव के आशीर्वाद से वो मिली थी, सो उसका नाम सनशाइन रखा गया. राजा ने ख़ुशी में एक दावत का ऐलान किया. पूरा राज्य इस दावत में शामिल हुआ. राजा-रानी ने परियों को और विद्वानों को भी ख़ासतौर से न्योता भेजा, ताकि उन सबका आशीर्वाद भी बच्ची को मिल सके. अंत में राजा-रानी ने हर किसी को सोना भी दान में दिया. जो 12 परियां इस दावत में ख़ासतौर से आमंत्रित थीं, उन्होंने एक-एक कर बच्ची को ख़ूबसूरती, उदारता, ईमानदारी, ख़ुशियां आदि का...

Hindi story ( beautiful dress)

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Hindi story ( aaj ki MAA)

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अाज अपने हाथ में इस्तीफा लेकर मंजू मैनेजर के आॅफिस तक जाने की हिम्मत जुटा रही है, अच्छी ख़ासी नौकरी छोड़ना आसान काम थोड़े है | कुछ देर में दिल कड़ा करके मैनेजर के टेबल पर पहुंची, गुप्ता जी ने बोला " ये क्या मंजू , कोई फैसला करने से पहले सोंच लो, चाहो तो कुछ दिन की छुट्टी ले लो" | "नहीं सर सब सोंच लिया" मंजू ने कहा और तेज़ कदमों से आॅफिस के बाहर निकल गई और वापस आकर सोफे पे लेट गई आंख बंद करके जैसे अब सुकून आया हो ज़िन्दगी में....... मंजू हमेशा से एक महत्वाकांक्षी लड़की थी | भगवान की दया से पति व घर भी ऐसा मिला की उसने मंजू को कभी नहीं रोका | 2 साल बहुत अच्छे से गए, अचानक एक दिन मंजू को पता चला की वो मां बनने वाली है | उसे ये बच्चा नहीं चाहिए था, पति को बताया तो उसने बोला जो हुआ सो हुआ, एक बार तुम्हें थोड़ी तकलीफ होगी, फिर तो आजकल बच्चे अपने आप पल जाते हैं|वो भी आधे मन से मान गई, उसने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया.. खुश थी वो भी अपनी परछाईं अपने हाथों में देखकर... उसकी 2 महीने की मेटरनिटी लीव पलक झपकते निकल गई | अब सबसे बडा़ सवाल था बच्ची का कौन ध्यान रखेगा.......

Hindi story ( audhari prem khani)

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बात उन दिनों की है, जब मैंने कॉलेज में दाख़िला लिया था. मेरा कोई दोस्त नहीं था, इसलिए थोड़ा अकेलापन-सा लगता. फिर धीरे-धीरे आदत-सी हो चली. कक्षा में मेरी सीट खिड़की के पास थी. कई दिनों से मैं गौर कर रही थी कि रोज़ एक साया मेरे पास से गुज़रता, उसकी निगाहें मुझे ही घूर रही होती थीं. पहले तो मुझे उस पर बहुत ग़ुस्सा आया. सोचा, किसी दिन ऐसी ख़बर लूंगी कि होश ठिकाने आ जाएंगे जनाब के. फिर धीरे-धीरे वह मुझे अच्छा लगने लगा. उसका चेहरा बहुत आकर्षक था. जब भी वह मेरे क्लास रूम के पास से गुज़रता मैं बेचैन हो जाती, उसकी आहटों से मेरी धड़कनें तेज़ हो जातीं. अब तो ये रोज़ का सिलसिला हो गया था. वह दिन में कई बार उस जगह से गुज़रता और मैं सबकी नज़रें बचाकर उसे देख लिया करती. कई बार तो आते-जाते हमारा आमना-सामना भी हुआ, परंतु कोई बात नहीं हुई. हर समय एक बेक़रारी-सी रहती. कुछ कहना चाहती, पर कह नहीं पाती थी. शायद यही प्यार था. वे मेरे दोस्तों से मेरे बारे में बातें करते. दोस्तों से ही पता चला कि उन्हें मैं बहुत ख़ूबसूरत लगती हूं और जिस तरह के पहनावे में वे मुझे देखना चाहते थे, उसका ज़िक्र भी कर देते. जब बात मुझ तक पहु...

Hindi story

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प्यार की जीत यश और रंजीता एक ही कालेज में पड़ते थे। लड़कीयां तो और भी बहुत थी लेकिन रंजीता सबसे अलग थी। उसको देखने की चाहत में यश ने बहुत बार कलास मिस की थी। पास होने या ना होने की फिक्र उसको ना थी। आखिर अपने पिता जी का बिज़नैस ही तो संभालना था उसको, कौनसा पास हो कर किसी की नौकरी करनी थी। बहुत बार बात करनी चाही यश ने उसके साथ, लेकिन रंजीता ने कभी ध्यान नहीं दिया था उसकी तरफ़। एक दिन हिम्मत करके यश ने उसको बुला ही लिया। उस दिन ज्यादा बात तो नहीं हुई पर उसको भी यश अच्छा लगा। धीरे धीरे बातें होने लगी। फिर बातें मुलाकातों में बदलने लगी। सालाना परीक्षा हुई, रंजीता के अच्छे अंक आए पर यश फेल हो गया। रंजीता ने दूसरे कालेज में दाखिला ले लिया और यश अपने पिता के साथ काम में लग गया। लेकिन उनकी मुलाकातें कम न हुई। यश काम में से समय निकाल कर रंजीता के कालेज आने जाने के समय उसे जरुर मिलता। फ़ोन पर भी बातें होती रहती। समय निकलता गया और फिर रंजीता की ग्रैजूऐशन पूरी होने वाली हो गई। यश ने बिज़नैस अच्छी तरह संभाल लिया था। उसके लिए रिश्ते भी आने लगे थे। लेकिन यश ने घरवालों को साफ़ कह दिया कि व...

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Hindi story

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Hindi story ( betiya )

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बेटी जब शादी के मंडप से... ससुराल जाती है तब ..... पराई नहीं लगती. मगर ...... जब वह मायके आकर हाथ मुंह धोने के बाद सामने टंगे टाविल के बजाय अपने बैग से छोटे से रुमाल से मुंह पौंछती है , तब वह पराई लगती है. जब वह रसोई के दरवाजे पर अपरिचित सी खड़ी हो जाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पानी के गिलास के लिए इधर उधर आँखें घुमाती है , तब वह पराई लगती है. जब वह पूछती है वाशिंग मशीन चलाऊँ क्या तब वह पराई लगती है. जब टेबल पर खाना लगने के बाद भी बर्तन खोल कर नहीं देखती तब वह पराई लगती है. जब पैसे गिनते समय अपनी नजरें चुराती है तब वह पराई लगती है. जब बात बात पर अनावश्यक ठहाके लगाकर खुश होने का नाटक करती है तब वह पराई लगती है..... और लौटते समय 'अब कब आएगी' के जवाब में 'देखो कब आना होता है' यह जवाब देती है, तब हमेशा के लिए पराई हो गई ऐसे लगती है. लेकिन गाड़ी में बैठने के बाद जब वह चुपके से अपनी आखें छुपा के सुखाने की कोशिश करती । तो वह परायापन एक झटके में बह जाता तब वो पराई सी लगती 😪 नहीं चाहिए हिस्सा भइया मेरा मायका सजाए रखना कुछ ना देना मुझको बस ...

Hindi story

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Hindi story ( काबिल बिटिया)

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काबिल बिटिया आज भी मैं उसी बस स्टैंड पर खड़ी ९ नंबर बस का इंतज़ार रही हूँ या यूं कह लीजिये की उसका इंतज़ार कर रही हूँ। एक ना ख़तम होने वाला लम्बा इंतज़ार................................................... जो चढ़ते सूरज के साथ बुलंद होता जाता है और एक बेतहाश हार के साथ ढल जाता है फिर नयी उम्मीद में अगली सुबह तमतमाने को। वो सूरज है सिर्फ नाम से नहीं गुण से भी। आकर्षक सुन्दर और तेजस्वी। सूरज की तरह ही लोगो के जीवन में उम्मीद की किरण जगाने वाला। पर मैं निशा हूँ। शायद मेरे माता पिता की तीसरी संतान भी लड़की होने का दुःख मेरे नाम में ज़ाहिर हो गया। हालांकि उन्होंने कभी प्रकट नही किया पर कभी कभी व्यवहार शब्दों से ज्यादा भाव बोधक होते हैं। मैं उनकी आखिरी उम्मीद थी जो उन्हें उनकी कुंडली में कालसर्प दोष की तरह बैठे रिश्तेदारों के तंज़ो से मुक्ति दिलाती। उनकी काबिल बेटी बनकर मैं शायद उनका दुःख कम कर सकती थी।अपनी बहनों की शादी में ख़र्च राशि को सूत समेत वापस ला सकती थी। और उन बूढ़ी आँखों के कई जर्जर सपनों को पूरा कर सकती थी। कभी कभी काबीलियत स्वयं की इच्छाओ का अंत कर देता हैं। मेरी इच्छाओं के अ...

Hindi story

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Genretion gap  नई पीढी और पुरानी पीढी के बीच विचारों के मतभेद की समस्या काफी पुरानी हैं। नई पीढी सिफ॔ चलना चाँहती हैं। और इसके लिये वो गिरने को भी तैयार हैं। और पुरानी पीढी चाँहती हैं कि बच्चे बिना गिरे ही उनके अनुभव से चलना सीख जायें। दोनों ही पीढी अपनी-अपनी जगह सही हैं पर दोनो पीढी को सिफ॔ एक एक सत्य को स्वीकार करना होगा। पुरानी पीढी‚ इस चीज को समझे की अनुभव अपने होतें हैं किसी से उधार नहीं लिये जाते हैं। और बिना गिरे हम चलना तो सीख सकते हैं पर सम्भलना नहीं। हम गिरेगें तभी तो उठने का हुनर सिखेंगें। वहीं दूसरी और यह भी उतना ही सत्य हैं कि किसी सीढी को हम कितना ही मॅाडन कर लें ‚ उसे इलेक्ट्रानिक बना ले‚ पर ऊपर तक पहुँचने के लिये शुरूआत तो पहली सीढी से ही करनी होगी और ये पहले सीढी ही हमारे बड़ो का वो अनुभव हैं जो उन्होने उस सीढी में चढने के लिये न जाने कितने बार गिर कर कमाया हैं। बस ये एक एक विचार दोनों पीढी के बीच के मतभेदों कों समाप्त कर सकता हैं। याद हैं वो ॰॰॰॰॰॰ बचपन के दिन जब पापा सार्इकल चलाना सिखाया करतें थें। और पीछे से सीट को पकड़ लिया करते थ...

Hindi story

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                             सोभाग्य           न्यूज पेपर पढ़ते हुए अदरक की चाय को सवाद लेकर पी रहे गौरव के पास आकर बैठीं राधा। ‘‘क्यों मां काम सब खतम हो गया क्या ? ’’ रसोई का काम तो खतम हुआ पर ये जो कर्तव्य है ये पूरे ही नही हो रहें है। ’’ ‘‘ अरे ! सुबह सुबह ही आप शुरू हो गई। कितनी बार कहने पर भी आप नहीं मानोगी क्या ? बड़े जोर शोर से शुरू हुआ मेरा गृहस्थ जीवन सिर्फ थोड़े दिनों में ही खतम हो गया। उसे ही मैं पचा नहीं पाया। फिर से अगले की तैयारी बोलो तो कैसे हो मां ? ये मुझसे नहीं होगा ? ’’ ‘‘बेटा, क्या जीवन हमेशा ही खुशी व सन्तुष्ट रहने का नाम है ? रोज सुबह सूरज उगता है व शाम को डूब जाता है ना ? पर मेरा जीवन डूब गया कहकर सूर्य अगले दिन बिना उगे रहता है ? प्रिया के जाने का दुख तो हमें तो बहुत ज्याद्धा है। उसके बराबर का दुख और कुछ नहीं है। इसलिए आने वाले वसंत को रोक देना क्या ठीक है ? ’’ ‘‘ ये देखों मां, आपके लिए मैं व मेरे लिए आप, ये वसंत हमारे लिए कम है क्या ? ’’ ‘‘ मैं जब तक हू...

Camel

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Satrangi

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Dairy milk hit like

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Shoot for the moon. Even if you miss it you will land among the stars Les Brown

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राशिफल: 12 दिसंबर, मंगलवार

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मेष (Aries):  आर्थिक और व्यावसायिक रूप से आज का दिन लाभदायक होगा। शरीर और मन से स्वस्थ रहेंगे। मित्रों और पारिवारिक सदस्यों के साथ खूब आनंद में दिन व्यतीत होगा। अधिक लोगों के साथ सम्पर्क में रहने का अवसर मिलेगा। वृष (Taurus):  आपका शारीरिक और मानसिक सुख बना रहेगा। नौकरी-व्यवसाय में आपकी मेहनत का फल मिल सकता है। अधिकारी वर्ग के प्रोत्साहन से आपका उत्साह बढ़ेगा। सामाजिक क्षेत्र में प्रतिष्ठा बढ़ सकती है। पिता से लाभ हो सकता है। मिथुन (Gemini):  अपनी वाणी और व्यवहार में सावधानी रखें। आपका स्वास्थ्य खराब हो सकता है और विशेषकर आंखों में तकलीफ हो सकती है, इसका पूरा ध्यान रखें। आज आपके खर्च का दिन है। कर्क (Cancer):  आज कई लाभ हासिल करने का दिन है। व्यापार-धंधे में विकास के साथ-साथ आय भी बढ़ेगी। नौकरीपेशा लोगों को लाभ का अवसर मिलेगा। वैवाहिक जीवन में सुख-संतोष की अनुभूति होगी। सिंह (Leo):  आज आपको वाणी और क्रोध पर नियंत्रण रखना चाहिए। सर्दी और कफ के कारण आपका स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। मानसिक व्यग्रता का अनुभव करेंगे। धन खर्च में वृद्धि होगी। अनैतिक विचारों...
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These are the most beautiful wedding pictures, Congratulations Virat and Anushka

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                     कलयुग की सीता एक बनता हुये शहर में आधुनिकता का प्रवेश हो रहा था,पहले ये शहर एक छोटा सा क़स्बा हुआ करता था पर आस-पास के गाँव वालों के लिए तब भी शहर ही था. नयी-नयी बिल्डिंग्स बन रही थी,नयी-नयी कॉलोनीज में नये लोग रैनबसेरा बना रहे थे। वक़्त बीतने के साथ पहले आये लोग पुराने हो गये और जो लोग बाद में आये वो नए हो गये। ऐसे ही एक दिन उसी कॉलोनी में एक नए परिवार का आना हुआ. कुल तीन लोग थे,एक अधेड़ महिला,एक बुजुर्ग पुरुष और एक जवान लड़की। सबकी निगाहें उसी परिवार पर जमी रहती थी क्योंकि उन्हें आये हुए एक महीने से ऊपर होने चला था पर अभी तक वो किसी से ज्यादा घुलते मिलते नही नही थे। लड़की सुबह जल्दी निकलती तो देर रात ही घर आती थी,महिला कभी- कभी अपनी बालकनी में कुछ करते हुए झलक दिखाकर गायब हो जाती थी. सभी कॉलोनी वालो में सुगबुगाहट मची हुई थी,कौन है ये लोग?कहाँ से आये है? क्या करते है? हम सबसे ज्यादा मिलते क्यों नही हैं? क्योकि अपने आप में मस्त रहते हैं? ऐसे बहुत सी बातें होती थी,एक बात का शायद उस परिवार को छोड़कर सबको ...

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एक गांव में एक लड़की अपनी मां के साथ रहती थी. वो लड़की मन की बहुत चंचल थी. अक्सर सपनों में खो जाया करती थी. एक दिन वो दूध से भरा बर्तन लेकर शहर जाने की सोच रही थी. उसने अपनी मां से पूछा, “मां, मैं शहर जा रही हूं, क्या आपको कुछ मंगवाना है?” उसकी मां ने कहा, “मुझे कुछ नहीं चाहिए. हां, यह दूध बेचकर जो पैसे मिलें, उनसे तुम अपने लिए चाहो तो कुछ ले लेना.” वो लड़की शहर की ओर चल पड़ी. चलते-चलते वो फिर सपनों में खो गई. उसने सोचा कि ये दूध बेचकर भला मुझे क्या फ़ायदा होगा. ज़्यादा पैसे तो मिलेंगे नहीं, तो मैं ऐसा क्या करूं कि ज़्यादा पैसे कम सकूं… इतने में ही उसे ख़्याल आया कि दूध बेचकर जो पैसे मिलेंगे उससे वो मुर्गियां ख़रीद सकती है. वो फिर सपनों में खो गई“दूध बेचकर मुझे पैसे मिलेंगे, तो मैं मुर्गियां ख़रीद लूंगी, वो मुर्गियां रोज़ अंडे देंगी. इन अंडों को मैं बाज़ार में बेचकर काफ़ी पैसे कमा सकती हूं. उन पैसों से मैं और मुर्गियां ख़रीदूंगी, फिर उनके चूज़े निकलेंगे, उनसे और अंडे मिलेंगे… इस तरह तो मैं ख़ूब पैसा कमाऊंगी… लेकिन फिर इतने पैसों का मैं करूंगी क्या?…हां, मैं उन पैसों से एक नई ड्रेस और टोपी ख़रीद...